जो प्रधानमंत्री जी ने कहा :-
" रुपये पेड़ों पर नहीं उगते ..."
जो वो कहना चाह रहे थे :-
" रुपये कोयले की खदानों मे मिलते है ..."
" रुपये पेड़ों पर नहीं उगते ..."
जो वो कहना चाह रहे थे :-
" रुपये कोयले की खदानों मे मिलते है ..."
नाम से आप सब समझ ही गए होंगे ... हम कोई भी ख़ास और अनोखी बात बताने वाले है नहीं जो आप पहले से जानते ना हो !! अपन तो बस मौजूदा हालात को एक कॉमिक एंगल देने की कोशिश करते है ||
5 comments:
और भी बहुत जगह मिलते हैं...बोफोर्स के घोटालों में, विदेशों की बैंकों में, यहाँ तक की चारे के घोटाले में भी.
थोड़ा कहा बहुत समझना - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
कोयले की दलाली मे हाथ काले :)
अजी क्या बात करते हो! रूपये फलते स्विस बैंक के किचिन गार्डन में ,कोयला भक्षण से मिलतें हैं ,तुम भी कोयला खाकर देखो ,बैंक बेलेंस बनाकर देखो .कलावती घर जाकर देखो .
रूपये उगते स्विस बैंक की फुलवारी में .
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